दिल की नज़र से....

दिल की नज़र से....
(चेतावनी- इस ब्लॉग के सर्वाधिकार (कॉपीराइट) ब्लॉग के संचालनकर्ता और लेखक वैभव आनन्द के पास सुरक्षित है।)

मंगलवार, 14 अप्रैल 2015

'नमक' भी जहां जख्मों की 'दवा' कहलाता है..!

खामोशी के शोर से जब भी डर जाता है,
अंदर का इंसान, भीड़ में जाकर खो जाता है..
अरमान दिलों में बरसों जला करते है,
इंसान तो इक पल में खाक हो जाता है.....!
क़ब्र की मिट्टी हाथ में लिए सोचता हूँ...
लोग मरते हैं तो ग़ुरूर कहाँ जाता है...?
है उनके शहर का ये 'कायदा' बड़ा अजीब,
'नमक' भी जहां जख्मों की 'दवा' कहलाता है..!

कोई टिप्पणी नहीं: